गुरुवार, 27 अगस्त 2015

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अन्याय सह कर बैठे रहना, यह महा दुष्कर्म है। 
न्यायार्थ अपने बंधु को भी दंड देना धर्म है। 
इस हेतु ही तो कौरवों और पांडवों का रण हुआ। 
जो भव्य भारतवर्ष के कल्पान्त का कारण हुआ। 

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